Video देखनें के लिए youtube par touch करें
आज से तकरीबन 100 वर्ष पूर्व देवास शहर में एक आलिम के द्वारा जो कि मस्जिद के इमाम भी थे दूसरे आलिम के कहने पर एक किताब लिखी गई जो कि उर्दू में थी उसके बाद फिर कभी वह किताब दोबारा नहीं लिखी गई। इसलिए मालूम पड़ता है कि 100 साल पहले मुल्क के हर छोटे बड़े गांव जिले कदमों में उर्दू में किताबें लिखी जाती थी लेकिन आज हालात यह है कि पिछले 50 सालों से उर्दू में भारत में कोई किताब नहीं लिखी गई इसी बात की फिक्र करते हुए बज़्मे उर्दू देवास के सदस्यों ने फ़रोगे उर्दू के लिए एक छोटे से सेमिनार का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता मुमताज अहमद खान ने की।
77