सवाल:-जो धर्म आपने अपना बदला है तो किस चीज ने आपको आकर्षित किया कि आप इस्लाम को छोड़कर सनातन धर्म की तरफ गए।
जवाब:- मैं बचपन से ही मंदिर जाया करता था कभी किसी धर्म में फर्क नहीं किया मेरा मानना है कि सबसे बड़ा धर्म मानवता है क्योंकि शुरू से ही मेरा झुकाव हिन्दू धर्म की तरफ था और मेरे घर में सभी तरह के त्यौहार शुरू से ही बनाए जाते थे गणेश उत्सव,दीपावली,नवरात्रि। में सिर्फ नाम से ही मुस्लिम था बाकी बचपन से ही सनातन धर्म अपना चुका था।
सवाल:- आमतौर पर देखा जाता है कि मुस्लिम समाज में बच्चों को बचपन में घर पर आलिम साहब को बुलाकर या मदरसे पहुंचा कर प्राथमिक इस्लामिक शिक्षा दी जाती है क्या आपको भी इस तरह की कोई शिक्षा प्राप्त हुई है
जवाब:- नहीं मुझे इस तरह की कोई शिक्षा प्राप्त नहीं हुई है मैं बचपन से ही सनातन धर्म की तरफ झुकाव रखता था जन्म ज़रूर मुस्लिम परिवार में हुआ है पर कर्म से मैं एक सनातनी ही हूं
सवाल:- जैसा कि सोशल मीडिया पर इस तरह का प्रचार किया जा रहा है कि किसी मुस्लिम व्यक्ति ने यकायक ही अपना मज़हब छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया इसमें कितनी सच्चाई है
जवाब:- मैं आपको बताना चाहता हूं की मेरा जो घर जो मंदसौर ज़िले की गरोठ तहसील में है मेरा जन्म वहाँ हुआ है घर के पास ही मृत्युंजय महादेव का एक मंदिर था और वहाँ पास में एक थाना भी है जहाँ एक कुआँ था और कुँए के पास ही एक दरगाह थी मेरे घर से रोज़ कोई ना कोई अगरबत्ती लगाने दरगाह ज़रूर जाता था और में भी उंगली पकड़ कर उनके साथ जाता था उसी समय मंदिर में आरती शुरू हो जाती थी तो मैं उंगली छोड़कर मंदिर में भाग गया करता था मतलब बचपन से ही मेरा रुझान सनातन धर्म की तरफ ही था।
सवाल:- आप अपनी फैमिली के बारे में कुछ बताना चाहेंगे
जवाब-: मेरी मां पठान फैमिली से ताल्लुक रखती है और मेरे पिताजी शेख थे हम तीन भाई और दो बहने हैं मेरे दोनों भाई और दोनों बहने मुस्लिम मज़हब को ही फॉलो करते हैं उन्हें मेरे सनातनी होने पर किसी तरह का कोई एतराज नहीं है क्योंकि मैं बचपन से की सनातन धर्म की तरफ आकर्षित रहा हूँ इसलिए मैंने शादी भी किसी मुस्लिम लड़की से ना करके एक हिंदू लड़की से की ताकि मेरे और उसके विचार मिल सके।मेरी शादी को 26 वर्ष हो चुके हैं।
सवाल:- हिंदू धर्म में राजपूत एक ऊंची जाति का सरनेम होता है आपको सनातन धर्म अपनाने के बाद इतना ऊंचा सरनेम किसे मिला।
जवाब:- सनातन धर्म में कुंडली देखकर नाम का चयन किया जाता है,मेरी कुंडली में मेरा नाम की शुरुआत “चे”अक्षर से हो रही थी इसलिए मेरा नाम चेतन्य रखा गया राजपूत सरनेम मेरी अपनी पसंद थी इसलिए मेरा नाम चैतन्य सिंह राजपूत रखा गया।
(जैसा कि चेतन्य सिंह राजपूत ने वाकिफ़ ख़बर से चर्चा करते हुए बताया)
में सिर्फ नाम से ही मुस्लिम था,सनातन धर्म बचपन से ही अपना चुका था:-चैतन्य सिंह राजपूत
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