ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (AIUTUC)
मध्य प्रदेश राज्य कमेटी
देवास की आराध्या डिस्पोजेबल कंपनी में आग लगने के कारण दो मजदूरों की मौत की श्रमिक संगठन AIUTUC ने की निंदा व मृत मजदूरो के परिवार वालों को मुआवजे की मांग की*
देवास औद्योगिक क्षेत्र स्थित आराध्या डिस्पोजेबल कंपनी में शुक्रवार को आग लगने की घटना सामने आई है, जिसमें दो मजदूरों की मौत हो गई। उक्त घटना की घोर निंदा करते हुए AIUTUC के प्रदेश अध्यक्ष रामावतार शर्मा व सचिव श्री सुनील गोपाल ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि यह घटना कंपनी मालिकों व श्रम विभाग की मिलीभगत से फायर एंड सेफ्टी एंड सेफ्टी के प्रावधानों के घोर उल्लघंन व श्रमिकों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैये को दर्शाती है, कि किस प्रकार से मालिकों द्वारा श्रमिकों के अधिकारों का हनन कर उनसे गुलामों की तरह काम लिया जाता है तथा उनके जान माल की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं।
जब यह विदित है कि डिस्पोजेबल कंपनी में प्लास्टिक व कागज जैसे अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ का उपयोग होता है तो कंपनी मालिक व श्रम विभाग को फायर एंड सेफ्टी के प्रावधानों का विशेष ध्यान रखना चाहिए था और और आग लगने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए थे परंतु गंभीर आपराधिक उल्लघंन का नतीजा है कि आग लगने से दो मजदूरों को मौत हो गई । मालिकों का यह वैधानिक व नैतिक कर्तव्य है कि जिस श्रमिक के श्रम का इस्तेमाल करके वे अकूत मुनाफा कमाते हैं, वे उसे उचित मजदूरी दें साथ ही उसके स्वास्थ्य व सुरक्षा का ध्यान रखें। लेकिन मालिक वर्ग की इस तानाशाही को रोकने के लिए सरकार द्वारा न केवल कोई प्रयास ही नहीं किए जा रहे, बल्कि सरकार 44 श्रम कानूनों को खत्म कर श्रमिक विरोधी चार श्रमिक संहिता को लागू कर रही है जो मालिक वर्ग के बेलगाम शोषण को बढ़ाएगी,साथ ही जिसके तहत मजदूरों के स्वास्थ्य व सुरक्षा संबधी श्रम कानूनों में भी ढील दी गई है। AIUTUC ने तमाम श्रमिकों से मालिक वर्ग के इस शोषण के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन चलाने की अपील की ।
उन्होंने कहा कि AIUTUC पूरी तरह से प्रभावित श्रमिको और उनके परिजनों के साथ खड़ा है, तथा मांग करता है कि
1. मृत श्रमिकों के परिवार को 10-10 लाख और घायल श्रमिकों को 5-5 लाख का मुआवजा दिया जाए।
2. दोषी कंपनी मालिक और ज़िम्मेदार श्रम और निगम अधिकारियों के विरुद्ध गैर इरादातन हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
3. सभी कंपनियों में स्वास्थ्य व सुरक्षा संबधी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए व श्रम विभाग द्वारा समय – समय पर निरीक्षण किया जाए।
4. मध्यप्रदेश सरकार श्रम कानूनों को शिथिल करने की नीति वापिस ले ।
केंद्र सरकार द्वारा श्रमिक विरोधी चार श्रमिक संहिता को रद्द कर श्रम कानून बहाल करे।