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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस से आगे नज़र आ रही भाजपा

ByM. Farid

Oct 7, 2023

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस से आगे नज़र आ रही भाजपा

“वाकिफ खबर के लिए इंदौर से अज़हर मिर्ज़ा”

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव बहुत नजदीक है और चुनावी सरगर्मी शुरू हो चुकी है। तीन बार लगातार से भाजपा सरकार मध्यप्रदेश में राज कर रही है और चाहती है की चोथी बार भी अपनी सरकार बरकरार रखे। हालाकी बीच में कांग्रेस की सरकार जरूर बनी थी लेकिन सिंधिया की बगावत और भाजपा में जाने के बाद से कांग्रेस के हाथ से बहुत जल्दी सत्ता चली गई ।भाजपा दोबारा मध्यप्रदेश में काबिज हो गई।

राजनेतिक जोतिषों का कहना है की प्रकृति का नियम है बदलाव और राजनीति में भी बदलाव बहुत जरूरी है।भाजपा की और से शिवराज सिंह चौहान 2005 से लगातार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हुवे हैं, बीच में कांग्रेस की सरकार में कमलनाथ मुख्यमंत्री रहे लेकिन सिंधिया के दल बदल जाने के बाद से वापस भाजपा सत्ता में आ गई और फिर शिवराज मुख्यमंत्री बन गए।

राजनेतिक ज्योतिषियों की निगाहे अब आगामी विधानसभा पर है और उनके अनुसार भाजपा कांग्रेस से आगे नजर आ रही है ।उनकी नज़र मे भाजपा जहां सक्रिय है वहीं कांग्रेस सुस्त नजर आ रही है। भाजपा की सक्रियता ने ही अभी से कांग्रेस से ज़्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशियों का नाम घोषित कर दिया है और अपने घोषित प्रत्यक्षीयों को विधानसभाओं में काम से लगा दिया है और अभी से भाजपा ने हारी हुई विधानसभा में कांग्रेस के सामने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।

वहीं भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इन्दौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक से टिकट देकर सबको चौंका दिया है,अंदरखानों की माने तो मुख्यमंत्री शिवराज भी खुद सभाएं ले रहे हैं, अपनी मांगो को लेकर सरकार से रूठे हुए अधिकारियों व कर्मचारियों को भी मना लिया गया है, जहां एक तरफ स्वास्थ्य विभाग की आशा कार्यकर्ताएं काफी समय से हड़ताल पर थी जिन्हें मुख्यमंत्री शिवराज ने मना लिया है। वही एएनएम की भी हड़ताल समाप्त कराकर उन्हें भी मना लिया गया है ।

कांग्रेस को देखें तो मध्य प्रदेश कांग्रेस के 76 वर्षीय कमलनाथ अब वरिष्ठ हो चुके हैं और लोगो को उनमें अब वह जोश और जुनून नज़र नहीं आ रहा है जो कभी हुवा करता था।राजनेतिक विशेषज्ञों अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए भी आज वह कांग्रेस को मध्य प्रदेश में उतना मजबूत नहीं कर पाए जितनी आज जरूरत है और इसी के चलते वो अपनी बनी हुई सरकार को भी बचा नहीं पाए।

ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी भी इसी को लेकर थी जिसके कारण वो कमलनाथ से नाराज होकर ही भाजपा में गए और कांग्रेस मध्यप्रदेश में और ज्यादा कमजोर हो गई ।वहीं भाजपा और कांग्रेस की चुनावी तैयारीयों पर नज़र डाली जाए तो जहाँ कांग्रेस के पास केडर बेस रणनीति नही है घर घर जाकर समझाइश देने वाले सक्रिय कार्यकर्ता की कमी नज़र आ रही है, कांग्रेस की सेवा दल कभी घर घर जाकर केडर की तरह काम करती थी लेकिन अब मानो मध्यप्रदेश मे तो कांग्रेस की सेवा दल नज़र ही नहीं आती।कांग्रेस के बड़े नेताओं ने सेवा दल पर ध्यान नाही दिया और आज कांग्रेस के पास ज़मीनी टूर पर घर घर जाकर समझाईश देने वाला केडर बेस कार्यकर्ता नही है।

लेकीन नज़र भाजपा पर डाली जाए तो उसके पास घर घर जाकर मतदाताओं को अपने पक्ष मे करने के लिए केडर मौजूद है और संघ का काम भाजपा को जितवाने के लिए घर घर जाकर समझाईश देना है जो कांग्रेस के पास नही है, कांग्रेस मे आपसी गुटबाज़ी नुकसान करती है, भाजपा मे गुटबाज़ी ज़्यादा वक्त तक नज़र नही आती, राजनितिक सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश कांग्रेस मे दिग्विजय सिंह को छोड़कर कद्दावर नेताओं को हारने के बाद एडजेस्ट नही किया जाता जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया को देख लिया जाए जो अनदेखी की वजह से नाराज़ होकर चले गए।

राजनीती के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह (राहुल भैया) को भी कांग्रेस मे अनदेखा किया जा रहा है पिछले दिनों भाजपा मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उनसे मुलाक़ात की है, वहीं निमाड़ क्षेत्र के नेता अरुण यादव की भी अनदेखी कांग्रेस को कमज़ोर कर सकती है, वर्तमान समय मे मध्यप्रदेश कांग्रेस मे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के अलावा कोई बड़ा चेहरा नज़र नही आ रहा है वहीं भाजपा के पास वरिष्ठ से लेकर युवा चेहरे मौजूद हैं घर घर दस्तक देने वाले कार्यकर्ता मौजूद हैं संघ मौजूद है केंद्र के ज़िम्मेदार नेता मौजूद हैं।जहाँ भाजपा के प्रत्याशी के साथ चुनाव के वक्त मंडल कमेटी,बूथ कमेटी और पूरा संगठन मदद करता है तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव अकेला लड़ता है ये बात पिछले उपचुनाव मे कांग्रेस से भाजपा मे गए मंत्री तुलसी सिलावट भी कह चुके हैं,

राजनैतिक विशेषज्ञों की माने तो मौजूदा हालत देखते हुए फिलहाल तो उम्मीद नहीं दिखती कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस भाजपा को हरा पाए।भाजपा की तैयारी मध्य प्रदेश में मजबूत है तो वहीं कांग्रेस मध्य प्रदेश में लापरवाह नजर आ रही है।अमित शाह ने मध्य प्रदेश चुनाव की तैयारी भी कर ली है वहीं कांग्रेस की तरफ से प्रियंका ने ग्वालियर में दौरा कर सभाएं ली है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के होते हुए भाजपा को ग्वालियर में कोई फर्क पड़ता नज़र नहीं आता।

वक्त रहते सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़के, कमलनाथ और कई बड़े कांग्रेसियों को मध्य प्रदेश चुनाव में लगना पड़ेगा और जी तोड़ मेहनत करना होगी तब जाकर कांग्रेस मध्यप्रदेश में भाजपा को कुछ टक्कर दे पाएगी।अब देखना है कांग्रेस के नेता मध्य प्रदेश चुनाव को किस तरह से मैनेज करते हैं ।

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