खबर मध्यप्रदेश के देवास ज़िले के मेंढकी रोड स्थित ग्राम लोहारी की है ।जहां पर भेरूसिंह माली नामक व्यक्ती 15 वर्ष की उम्र से एक मुस्लिम परिवार के घर काम करते थे।
भेरूसिंह शुरु से ही अकेले थे और उनका कोई सगा संबंधी नहीं था। 15 वर्ष के भेरूलाल मुस्लिम परिवार में काम करते करते कब 85 साल के हो गए पता ही नहीं चला।70 साल तक भेरूलाल परिवार में एक सदस्य की तरह रहें।
भेरूलाल की अन्तिम यात्रा
ऐसे में जब 70 साल मुस्लिम परिवार के घर काम करते करते 85 साल की उम्र में 12 सितंबर 2024 को उनका निधन हो गया तो हो गया तो मुस्लिम परिवार के रफीक शैख,अजीज शैख और रऊफ शैखऔर उनके सभी रिश्तेदारों ने मिलकर भेरूलाल का पूरे हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया।
हिंदु रीति रिवाजों के मुताबिक भेरूलाल की अंतिम यात्रा गाजे बाजे और पटाखों के साथ लोहारी गांव में निकाली गई।
बकायदा उज्जैन जाकर शास्त्र विधि के अनुसार उनकी अस्थियों को क्षिप्रा नदी में विसर्जित भी किया।
14 सितंबर को उनके मृत्यु के तीसरे दिन पूरे लोहारी गांव को मुस्लिम परिवार ने भोजन भी कराया
जीवन के अन्तिम समय में भेरूलाल जब काफी वयोवृद्ध हो गए तो बजाए किसी वृद्धाश्रम में भेजने के मुस्लिम परिवार ने भेरूलाल की सेवा पारिवारिक सदस्य की तरह की और जब जीवन के अन्तिम पड़ाव में भेरूलाल गम्भीर रुप से बीमार पड़ गए तो काफी समय तक उनके इलाज का खर्चा भी मुस्लिम परिवार ने पारिवारिक सदस्य की तरह ही उठाया।
हाजी रफीक जिनके परिवार में भेरूलाल ने 70 वर्ष निकाले
आज के दौर में जबकि सगे रिश्ते भी अपने बुजुर्गो से मूंह मोड़ लेते है। भेरूलाल और मुस्लिम परिवार की कहानी भारत की सभ्यता और संस्कृति का सुखद रंग पेश करती है तथा देश की गंगा जमुनी तहज़ीब को मजबूती प्रदान करती हैं।