गुजरात की अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में मध्यप्रदेश के 18 मजदूरों की दर्दनाक मौत पर प्रेस नोट जारी कर श्रमिक संगठन AIUTUC ने की निंदा व मृत मजदूर के परिवार वालों को मुआवजे की मांग की
बनासकांठा जिले के डीसा में अवैध दीपक ट्रेडर्स पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके के कारण आग भड़क जाने से आग और मलवे में दबने से मध्यप्रदेश के 18 मजदूरों की दर्दनाक मौत की घटना सामने आई हैं। यह घटना पटाखा फैक्ट्री कंपनी तथा शासन, प्रशासन की घोर लापरवाही को दर्शाती है क्योंकि पटाखा फैक्ट्री अवैध रूप से संचलित हो रही थी परंतु शासन प्रशासन ने नियमों की अनदेखी करते हुए इस कंपनी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की |उक्त घटना की घोर निंदा करते हुए AIUTUC के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश शर्मा व प्रदेश सचिव रूपेश जैन ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि यह घटना कंपनी मालिकों व श्रम विभाग की मिलीभगत से फायर एंड सेफ्टी एंड सेफ्टी के प्रावधानों के घोर उल्लघंन व श्रमिकों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैये को दर्शाती है, कि किस प्रकार से मालिकों द्वारा श्रमिकों के अधिकारों का हनन कर उनसे गुलामों की तरह काम लिया जाता है तथा उनके जान माल की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं। जब यह विदित है कि कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश के हरदा में भी पटाखा फैक्ट्री में आग लगी थी इसके बाद भी कंपनी मालिक व श्रम विभाग ने को फायर एंड सेफ्टी के प्रावधानों का ध्यान नहीं रखा | ये घटना श्रम कानूनों के गंभीर आपराधिक उल्लघंन का नतीजा है कि एक बार फिर एक श्रमिकों की मौत हो गई । जब यह विदित है कि पटाखा फैक्ट्री में अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ का उपयोग होता है तो कंपनी मालिक व श्रम विभाग को फायर एंड सेफ्टी के प्रावधानों का विशेष ध्यान रखना चाहिए था और और आग लगने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए थे परंतु गंभीर आपराधिक उल्लघंन का नतीजा है कि ये घटना घटी है मालिकों का यह वैधानिक व नैतिक कर्तव्य है कि जिस श्रमिक के श्रम का इस्तेमाल करके वे अकूत मुनाफा कमाते हैं, वे उसे उचित मजदूरी दें साथ ही उसके स्वास्थ्य व सुरक्षा का ध्यान रखें। लेकिन मालिक वर्ग की इस तानाशाही को रोकने के लिए सरकार द्वारा न केवल कोई प्रयास ही नहीं किए जा रहे, बल्कि सरकार 44 श्रम कानूनों को खत्म कर श्रमिक विरोधी चार श्रमिक संहिता को लागू कर रही है जो मालिक वर्ग के बेलगाम शोषण को बढ़ाएगी,साथ ही जिसके तहत मजदूरों के स्वास्थ्य व सुरक्षा संबधी श्रम कानूनों में भी ढील दी गई है। उन्होंने तमाम श्रमिकों से मालिक वर्ग के इस शोषण के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन चलाने की अपील की ।
उन्होंने बताया कि AIUTUC पूरी तरह से श्रमिकों के परिवारों के साथ खड़ा है, तथा मांग करता है कि
1. मृत श्रमिक के परिवार को 20 – 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए एवं परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
2. दोषी कंपनी मालिक और ज़िम्मेदार श्रम और निगम अधिकारियों के विरुद्ध गैर इरादातन हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
3. सभी कंपनियों में स्वास्थ्य व सुरक्षा संबधी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए व श्रम विभाग द्वारा समय – समय पर निरीक्षण किया जाए।
4. मध्यप्रदेश सरकार श्रम कानूनों को शिथिल करने की नीति वापिस ले ।
5. केंद्र सरकार द्वारा श्रमिक विरोधी चार श्रमिक संहिता को रद्द कर श्रम कानून बहाल करे।