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<span;>कोरोना जिसका नाम सुनते ही बदन में सिरहन सी दौड़ जाती है एक ऐसी बीमारी जो लाखों लोगों को अभी तक खत्म कर चुकी है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बीमारी को बढ़ेगी हंसते-हंसते टिकरिया ऐसी एक कहानी है पूर्णिमा यादव की जिसे जब मालूम पड़ा कि वह कोरोना पेशेंट है तो उसे सबसे पहले चिंता अपने माता-पिता की हुई और उस पर त्रासदी यह थी कि पूर्णिमा ने अपने सगे जीजा को कुछ समय पहले की बीमारी में खोया था इसलिए घरवालों ने यह तय किया के शहर में जहां बड़ी दीदी का मकान है वहां सब लोग रहने चले जाएंगे और पूर्णिमा अकेले रहकर की इस बीमारी से मुकाबला करेगी और फिर शुरू हुआ पूर्णिमा और कोरोना के बीच एक ऐसा मुकाबला जिसे पूर्णिमा ने बड़ी आसानी से जीत लिया 14 दिन तक घर में अकेले रह कर पूर्णिमा ने कोरोनावायरस से लड़ाई की एक ऐसी मिसाल कायम की है जो लंबे समय तक याद की जाएगी अगर सभी लोग पूर्णिमा की तरह बहादुरी से काम ले तो करो ना जैसी बीमारी को आसानी से हराया जा सकता है ।