लॉकडाउन के बाद पूरे देश भर में जो एक अजीब से स्तिथि बनी है ।सभी जानते हैं मजदूरों के पास स्थाई रोजगार नहीं है घर से निकल कर उन्हें काम मिलेगा या ना मिलेगा इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है जहां देश के नीति निर्धारक हिंदू मुस्लिम जैसी घटिया बातचीत में लगे रहते हैं वही देश का मजदूर अपने साथ जाने वाले भाई से यह भी नहीं पूछता कि तेरामज़हब क्या है उसे तो बस एक बात से मतलब होता है कि कैसे भी करके आज मज़दूरी मिल जाए ताकि उसके घर वाले भूखे ना सोए।
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