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जवेरी श्रीराम मंदिर की AB रोड स्तिथ लगभग पांचसो करोड़ की 25 बीघा ज़मीन को कब्ज़ा मुक्त कराने के लिए कांग्रेसियों ने आयोजित की प्रेस वार्ता

ByM. Farid

Apr 23, 2024

जवेरी श्रीराम मंदिर की भूमि पुनः श्रीराम के नाम पर हो- दीपक जोशी
देवास। श्री हनुमान जयंती के अवसर पर पूर्व मंत्री दीपक जोशी, पं. रितेश त्रिपाठी, धर्मेन्द्रसिंह कुशवाह एवं साधना प्रजापति ने जवेरी श्रीराम मंदिर (एम जी रोड देवास) को हाइकोर्ट के निर्णय पर मंदिर की भूूमि जो की विकास नगर चौराहे AB रोड पर स्तिथ है को कब्जा मुक्त कराने तथा उक्त भूमि को श्रीराम के नाम पर दर्ज कराने लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया।

पूर्व में विगत दिनों जिलाधीश देवास को हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन हेतु आवेदन साधना प्रजापति एवं धर्मेन्द्रसिंह कुशवाह द्वारा दिया गया था। प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि उक्त भूमि भगवान श्रीराम को तत्कालीन सरकार देवास जूनियर राम बाग स्थित 25 बीघा भूमि मंदिर के संचालन, रख रखाव इत्यादी के लिए दी गई थी। परंतु कथाकथित एक स्वयं भू ट्रस्टी द्वारा उक्त जमीन कई लोगों को विक्रय कर दी गई। इससे व्यथित होकर एक पूर्व ट्रस्टी द्वारा जिला न्यायालय में एक वाद दायर किया गया। इस प्रकरण में न्यायालय द्वारा उक्त भूमि को पुनः श्रीराम को देने तथा स्वयं भू ट्रस्टी को हटाकर नये ट्रस्टी बनाये जाने का आदेश वर्ष 2005 में पारित कर दिया गया। परंतु इसके बाद भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया। इसके स्थान पर अगर कोई गरीब, पिछड़े, असहाय लोग होते तो प्रशासन त्वरित कार्यवाही करते हुए उन्हें हटाकर भूमि को मुक्त करा लेता। परंतु उक्त जमीन पर प्रभावशाली बाहुबली, राजनैतिक संरक्षण प्राप्त लोगों का कब्जा है, उनके दबाव में अधिकारियों द्वारा कार्यवाही न करते हुए उन्हें कोर्ट जाने के लिए 7 वर्ष का समय दिया गया। उसके उपरांत 2012 में जिन तथाकथित ट्रस्टी को हटाया गया था उनके द्वारा एक याचिका माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में दायर की गई। जिसमें ट्रस्टी द्वारा एसडीएम द्वारा जिला न्यायालय के आदेश के परिपालन में ट्रस्ट की संपत्ति को बेचने की अनुमतियां जारी की गई थी उसे निरस्त कर दिया गया था। उक्त पिटिशन में भी न्यायालय द्वारा जिला न्यायालय के आदेश को सही माना उसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटी नहीं पाई गई साथ ही यह आदेश भी जारी किया गया कि ट्रस्ट की संपत्ति को शासकीय संपत्ति न माना जाए तथा रजिस्ट्रार ट्रस्ट (एसडीएम )का आदेश निरस्त कर दिया। जब न्यायालय द्वारा आदेश उपरांत भी प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, न ही भूमि को मुक्त कराने हेतु प्रयास किया गया और ना ही भू अभिलेखों में श्रीराम का नाम दर्ज किया गया। जब ट्रस्टियों और अवैध क्रेताओं को यह आभास हुआ कि जिला न्यायालय और न्यायालय में हमारे विरूद्ध आदेश पारित हो गए हैं। तब एसडीएम (रजिस्ट्रार ट्रस्ट) द्वारा उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के आदेश के लगभग 500 दिनों से ज्यादा के उपरांत उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर की डबल बैंच में रिट अपील दायर की गई तथा अन्य क्रेताओं को भी यह आभास हो गया था कि श्रीराम की भूमि जो षडयंत्र पूर्वक उनके द्वारा क्रय की गई है वह वापस शासन द्वारा लेकर मंदिर को दी जा सकती है इसलिए उन्होंनेे भी अलग अलग याचिकाएं उच्च न्यायालय की डबल बैंच में दायर की परंतु न्यायालय द्वारा उक्त सभी याचिकाएं दिनांक 25 अगस्त 2023 को खारिज कर दी गई। इससे स्पष्ट है कि जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय का आदेश यथावत होते हुए कार्यपालिका के कलेक्टर एसडीएम द्वारा उक्त आदेश का पालन किया जाना था, परंतु अधिकारियों द्वारा आदेश उपरांत 9 माह बीत जाने के बाद भी न तो जमीन पर कब्जा प्राप्त करने की कोई कार्यवाही की गई और न ही कब्जेदारों को बेदखली के नोटिस जारी नहीं किए गए, और ना ही उक्त भूमि के खसरा अभिलेखों में प्रभु श्रीराम का नाम दर्ज किया गया। इससे स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन स्वयं भू ट्रस्टी, स्थानीय जनप्रतिनिधि की मिली भगत एवं संरक्षण से उक्त मंदिर की जमीन को वापस नहीं दिलाये जाने का सामूहिक प्रयास किया जा रहा है। शहर के विकास हेतु उक्त भूमि का उपयोग जो कि प्रभु श्रीराम की हैै व्यापक जनहित में उपयोग में किया जा सकता है।

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