रावण दहन को लेकर छलका ब्राह्मण समाज का दर्द,मुख्य्मंत्री को पत्र लिखकर दुष्कर्मियों के पुतले जलाए जाने की,की मांग।
ब्राह्मण संघ उज्जैन की और से रावण दहन के ताल्लुक से अनूठी पहल कर डाली,
मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर ब्राह्मण संघ द्वारा रावण दहन की जगह दुष्कर्मियों के पुतले जलाए जाने की मांग की गई है।
रावण दहन करने को ब्राह्मणों का अपमान बताते हुऐ
महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के संस्थापक अध्यक्ष महेश पुजारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रावण को विद्वान और त्रिकालदर्शी बताया है।
ब्राह्मण संघ द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सीता हरण को प्रभुलिला बताते हुऐ लिखा गया है की रावण ने माता सीता का हरण इसलिए किया ताकि वह अपने कुल का भगवान के हाथो से उद्वार करा सके।
यह घटना द्वापर युग में घटित हुई है लेकिन रावण ब्राहम्ण वंश से थे इसलिए त्रेतायुग से लेकर कलयुग तक ब्राहमणो को बदनाम ओर अपमान करने के लिए रावण दहन किया जा रहा है।
अखिल भारतीय युवा ब्राहमण समाज मुख्यमंत्री जी मांग करता है की प्रदेश मे रावण दहन करने पर प्रतिबन्ध लगाया जाये।
ऐसे भी व्याभिचारी लोग मां बेटियो के साथ व्याभिचार करते है उनकी हत्या कर देते है उनके पुतले देश में जलाना चाहिये।
पत्र में यह भी बताया गया है की कि रावण ने सीता हरण अवश्य किया लेकिन व्याभिचार नही किया। माता सीता को अशोक वाटिका में रहने कि व्यवस्था की इससे रावण की विवेक बुद्धि और बल का ज्ञान होता है रावण वर्तमान, भूतकाल और भविष्य का ज्ञाता भी था।
पत्र में मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि रावण दहन की आड़ मे ब्राहमणो का जो अपमान हो रहा है उस पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिये।
आपकों बता दे की रावण को बुराई का प्रतीक मानते हुऐ देश भर में दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है। और देश भर में ये परम्परा सदियों से चली आ रही है।
लेकिन ब्राह्मण संघ द्वारा मुख्यमंत्री से रावण दहन को बंद करने की मांग भरा पत्र लिखकर देश भर में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्योंकि पत्र में जिस तरह से रावण दहन को सर्व ब्राह्मण समाज का अपमान बताया जा रहा है उसे नजरंदाज नही किया जा सकता।
वहीं रामायण कथा में एक प्रसंग के दौरान जब राम रावण युद्ध समाप्त हो जाता है तब भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को मृत्यु शैय्या पर पड़े रावण से ज्ञान उसके पांव के पास खड़े होकर लेने को कहा था। इससे ये तो ज़रूर साबित होता है की रावण को श्री राम भी महाज्ञाता मानकर सम्मान देते थे।
वैसे तो सनातन धर्म में ब्राह्मण समाज को सबसे उच्च वर्ण की श्रेणी में रखा गया है। अब ऐसे में ये देखना काफी कोतोहुलकारी होगा की रावण के पुतला दहन पर प्रतिबंध को लेकर ब्राह्मण संघ की मांग पर मुख्यमंत्री कितनी संवेदनशीलता दिखाते है ।