संयुक्त किसान मोर्चा एवं संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा के आव्हान पर ग्रामीण बंद व औद्योगिक हड़ताल के समर्थन में देवास में ए.आई. यूटीयूसी व ए आई के.के.एम.एस. ने ज्ञापन सौंपा तथा गदईशा पिपल्या में किया प्रदर्शन
देवास। संयुक्त किसान मोर्चा एवं संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा द्वारा ग्रामीण बंद व औद्योगिक हड़ताल के समर्थन में किसान संगठन एआई केकेएमएस व श्रमिक संगठन एआई यूटीयूसी के द्वारा प्रधान मंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बने, डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो, किसान-खेत मजदूरों का कर्जा माफ हो, पेंशन दी जाए।,लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए, मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।,विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए,मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम, 700 रुपए दिहाड़ी दी जाए, नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां व खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए, संविधान की 5 सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए। चार श्रमिक संहिता रद्द कर सभी श्रम कानूनों का सख्ती से पालन किया जाए, श्रमिकों की न्यूनतम वेतन 26000 रुपए प्रतिमाह की जाए, फिक्स टर्म एम्प्लॉयमेंट को खत्म कर सभी को स्थाई नौकरी दी जाए, ठेजादारी प्रथा बंद की जाए, नई पेंशन स्कीम बंद कर सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम से पेंशन मिलना सुनिश्चित किया जाए, रेल, बैंक, बीमा, सहित सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए जैसी मांगे प्रमुखता से उठाई गई। वहीं शाम के समय गदइशा पिपल्या गांव में प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एड शुभम लोधी ने कहा कि किसान व मजदूर अपने हक की आवाज उठा रहे हैं, आज जब हम देख रहे हैं कि समाज का हर तबका सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण त्रस्त है। एड राजुल श्रीवास्तव ने कहा कि जो व्यक्ति जिस वस्तु का उत्पादन करता है उसे उसका दाम के निर्धारण का अधिकार होता है लेकिन किसान खुद के द्वारा उपजी फसल का दाम तय नहीं करता है, उसकी लागत का खर्च, डीजल, खाद, बीज का इतना बढ़ जाता है कि उसे कर्ज लेना पड़ता है और कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या जैसे कदम उठाने पड़ते हैं हर दिन 30 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं वहीं मजदूरों की स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है सरकार श्रम कानूनों में ढील दे रही है, यूनियन बनाने के अधिकार को खत्म किया जा रहा है, सरकार 44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार श्रमिक संहिता लाने जा रही है जो श्रमिक वर्ग पर बड़ा हमला है, हमको इन किसान – मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है। प्रदर्शन का संचालन विजय मालवीय ने किया