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अगर देवास शाजापुर लोकसभा में भी इंदौर जैसा “खेला” होता तो क्या थी कांग्रेस की तैयारी ?

ByM. Farid

Apr 30, 2024

अगर देवास शाजापुर लोकसभा में भी इंदौर जैसा “खेला” होता तो क्या थी कांग्रेस की तैयारी
गुजरात की सूरत लोकसभा की तर्ज पर इंदौर लोकसभा के कांग्रेसी उम्मीदवार अक्षय बम द्वारा अपना नामांकन वापस लेकर देश भर के कांग्रेसी उम्मीदवारों को शक के घेरे में ला दिया है। अभी मात्र दो चरण में 200 से भी कम लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ है। ऐसे में देश भर के कांग्रेसी उम्मीदवारों को शक की निगाह से देखा जा रहा है।

जी हां हम बात कर रहें है इंदौर से मात्र 35 km दूर देवास शाजापुर लोकसभा सीट की। वैसे तो ये सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है और लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही मुख्य विपक्ष दल कांग्रेस की उपस्तिथि को मात्र औपचारिकता के रुप में ही दर्ज किया जा रहा था।
भाजपा उम्मीदवार महेंद्र सिंह सोलंकी 2019 के लोकसभा चुनाव में पोने चार लाख मतों से चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा ने 2024 में एक बार फिर से महेंद्र सिंह सोलंकी पर भरोसा जताया है। भाजपा से उम्मीदवारी की घोषणा के साथ ही महेंद्र सिंह सोलंकी की जीत के 5 लाख मतों से रिकार्ड जीत के दावे किए जा रहे है।

इलेक्ट्रॉल बॉन्ड,केजरीवाल कांड,ने दो माह में बदले राजनैतिक समीकरण
दिसंबर 2023 में मध्यप्रदेश, राजिस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बंपर जीत तथा 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के बाद देश भर में भाजपा को लेकर बने माहोल को लेकर पार्टी द्वारा अबकी बार 400 पार का नारा दिया था। लेकिन पीछले दो माह में इलेक्ट्रॉल बॉन्ड और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर देश भर में जो माहोल बना इससे भाजपा के 400 पार के दावे को कही ना कही गहरा नुकसान पहुंचाया।

देवास लोकसभा के कांग्रेसी उम्मीदवार राजेंद्र सिंह राधकिशन मालवीय।


कांग्रेस पार्टी ने देवास शाजापुर लोकसभा सीट से राजेंद्र मालवीय को उम्मीदवार बनाया है। इनके पिता राधाकिशन मालवीय का शुमार कांग्रेस के बड़े नेताओं में किया जाता था। राजेंद्र मालवीय कांग्रेस पार्टी को लेकर पूर्णतः प्रतिबद्ध नज़र आते है। लेकिन इंदौर में हुए “बम” कांड के बाद कांग्रेस के उम्मीदवारों को शक की निगाह से देखा जाना स्वाभाविक है।

चलते चुनाव में देवास शहर के कट्टर कांग्रेसी नेता भाजपा का दामन थाम चुके है
देवास शहर के पुराने कांग्रेसी नेता अजीत भल्ला अभी हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके है। ऐसे में लोकसभा के कांग्रेसी नेताओं की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है। अभी भी राजनैतिक गलियारों में इस बात की चर्चा बनी रहती है की  कई बड़े कांग्रेसी नेता भाजपा के संपर्क में है और भाजपा की सदस्यता पाने को आतुर भी है लेकिन स्थानीय भाजपा संगठन कांग्रेसी नेताओं की बिलकुल भी तवज्जो नहीं दे रहा है।

अगर खेला होता तो क्या थी कांग्रेस की तैयारी।
ऐसे में देवास शाजापुर लोकसभा सीट के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा ज़ोरो पर है की अगर इंदौर की तर्ज पर देवास में भी खेला होता तो इससे निपटने की क्या थी कांग्रेस की तैयारी। वैसे तो प्रेत्यक पार्टी द्वारा किसी भी चुनाव में अपना एक डमी फॉर्म भरवाया जाता है। लेकिन कांग्रेस संगठन ने डमी फॉर्म को लेकर शूरू से ही सावधानी बरती और जिला पंचायत सदस्य “बने सिंह अस्ताया” को मैदान में तैयार रखा। बने सिंह अस्ताया की साल 2022 में हुऐ ज़िला पंचायत चुनाव में कांग्रेस की ज़िला अध्यक्ष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार राजेंद्र मालवीय की पारिवारिक कांग्रेसी पृष्ठभूमि भी उनके उम्मीदवार पद पर बने रहने की एक बड़ी वजह रही नहीं तो मात्र 35 km दूर इंदौर लोकसभा में इतना बड़ा “खेला” होने के बाद देवास शाजापुर लोकसभा का कांग्रेस विहीन हो जाना कोई बड़ी बात नहीं थी। क्योंकि कुछ समय पूर्व ही देवास शहर के बड़े कांग्रेसी नेतागण भाजपा की सदस्यता पाने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए थे।

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